भारतीय नारी मनु की मारी

भारतीय नारी मनु की मारी--हा हा हा*


*20 सितम्बर 1951 को लोकसभा में बाबा साहब अम्बेडकर ने कहा था कि "रामायण काल'' में हिन्दू कोड बिल जैसा कानून होता तो सीता को घर से बाहर निकाल देने की हिम्मत मर्यादा पुरुषोत्तम कहलाने वाले राम में नहीं होती" चर्चा हिन्दू कोड बिल पर चल रही थी*


*हिन्दू कोड बिल भारतीय महिलाओं को समानता व स्वतंत्रतापूर्वक अधिकार दिलाने के लिए डॉ अम्बेडकर साहब जी द्वारा प्रस्तुत किया गया था उस समय तक भारतीय नारी को जो अधिकार मिले थे वो मनु के बनाये कानून के अनुसार थे*


*स्त्री को अपने पति से विवाह विच्छेद (तलाक) की अनुमति नहीं थी चाहे पति कितना ही जालिम या निकम्मा-भड़वा हरामी-नीच-पापी-कुत्ता -कमीना ही क्यों न हो*


*जबकि पुरुष जब चाहे तब स्त्री को त्याग सकता था और कितनी भी शादियाँ कर सकता था संपति के मामले में मनु ने स्त्री को दासी बनाकर रख दिया था*


*पत्नी पुत्री और दास इन तीनों के पास कोई संपत्ति नहीं हो सकती थी वे जो संपत्ति अर्जित करे वह उसकी होती है जिसकी वह पत्नी या पुत्र या दास है*


*मनु द्वारा स्त्रीयों के लिए आदेशित जीवन के आदर्श को भी देखिए--मनु कहता है-आजीवन उसकी (पति) की आज्ञा का अनुपालन करेगी जिसे उसका पिता या भाई उसे सौंप देता है*


*चाहे पति सदाचार से हीन हो या अन्य किसी स्त्री पर आसक्त हो, या वह सदगुणो से हीन हो तो भी पति-व्रता स्त्री के लिए वह देवता के समान पूज्नीय है*


*इस तरह स्त्री पुरूषवादी समाज में एक भोग की वस्तु बनकर रह गई थी स्वतंत्रता पश्चात बाबा साहब ङाँ अम्बेडकर ने स्त्रीयो को भी मानवमात्र जानकर उनकी मानसिक सामाजिक राजनीतिक स्वतंत्रता के बारे में गहन अध्ययन किया*


*2.. देश विदेश में स्त्रीयो को पृदत्त अधिकार एवं स्वतंत्रता का गहन मूल्यांकन कर भारतीय नारी को स्वाभिमान एवं स्वतंत्रता दिलाने के लिए बाबा साहब ने लोकसभा में हिन्दू कोड बिल प्रस्तुत किया*


*बाबा साहब कहते थे कि मुझे भारतीय संविधान के निर्माण से भी अधिक दिलचस्पी और खुशी हिन्दू कोड बिल पारित करने में है*


*डाँ बाबासाहब अम्बेडकर द्वारा प्रस्तुत हिन्दू कोड बिल में महिलाओं को सम्पत्ति में बराबर का हिस्सा, बेटी को पिता की सम्पत्ति में हिस्सा, एकपत्नित्व का बंधन, अन्तरजातिय विवाह को मान्यता, वारिसो को सम्पति में हिस्सा, दुर्जन पति से तलाक लेने का अधिकार आदि का समावेश किया गया था*


*लेकिन जैसे ही बिल लोकसभा में आया, सनातनी हिन्दू तिलमिला उठे पूरे देश भर में इस बिल का विरोध हुआ और "हिन्दू धर्म संकट में है" ऐसे नारे लगाए गए*


*राजेन्द्र प्रसाद तक ने जो उस समय राष्ट्रपति थे कहा था कि ये बिल पास नहीं होना चाहिए नहीं तो अनर्थ हो जायेगा*


*डाँ अम्बेडकर उस समय अकेले भारतीय महिलाओं की अस्मिता की लङाई लङ रहे थे पूरा हिन्दू समाज उनके विरुद्ध हो गया था*


*अंत में जब उन्हें लगा कि बिल पास नहीं होगा तो उन्होंने कानून मंत्री से इस्तीफा दे दिया बाद में यही बिल अलग अलग टुकड़ों में पास किया गया*


*डाँ बी आर अम्बेडकर किसी एक वर्ग के नेता नहीं थे बल्कि वे हर उस वर्ग के नेता थे जो उत्पीङीत एवं शोषित है वे ग्लोबल एवं रेसनल नेता थे स्वतंत्रता, समानता, बंधुत्व को वे आदर्श मानते थे*


*वे हमेशा दबे कूचलो की आवाज थे चाहे वे महिलाएं हो या दलित पिछङे हो,आजकल की महिलायें जो जॉब पर जाकर हज़ारों कमाती है पर्स मे आराम से पैसे रखती है बड़ी शान से नेता गिरी करती है*


*प्रेग्नेँट होते वक्त 6 महीने की छुट्टी लेती है उसका भी उसे घर बैठे पगार मिलता है !!! वो सब नासमझ महिलायें "बाबासाहब के आदर्शों को मानने के सत्यनारायण ,गणपती,साई बाबा , दुर्गा जैसे पत्थर पूजती है और पढ़ लिखकर भी अंधविश्वासी बनती जा रही हैं*


*इसके बाद और संविधान प्रदत्त अपनें अधिकारों को पुनः खोती चली जा रहीं हैं,अपनें पैरों पर कुल्हाड़ी मारनें का इससे बढ़िया उदाहरण और कोई हो नहीं सकता ok*


       *---मिशन भीमवादी समाज बनाओ---*


*Bahujan Hasrat Party*